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दो फीसदी की मामूली बढ़त से कांग्रेस को मिली जीत, बीआरएस के वोट शेयर में 10 फीसदी की गिरावट

कांग्रेस के मतों में महज दो फीसदी की वृद्धि के चलते बीआरएस को विधानसभा चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 119 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 64 सीटों पर जीत हासिल की। उसने 39.40 फीसदी वोट शेयर हासिल किया और के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के नेतृत्व वाली बीआरएस को पीछे छोड़ दिया। बीआरएस ने 37.35 फीसदी वोट शेयर के साथ 35 सीटों पर जीत दर्ज की है।

पिछले चुनाव में बीआरएस-कांग्रेस का कैसा था प्रदर्शन
बीआरएस ने अपने वोट शेयर में 10 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी है। 2018 के विधानसभा चुनावों में उसने 47 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। जबकि, कांग्रेस को बीआरएस की तुलना में थोड़ा अधिक लाभ मिला है, जो 11 फीसदी की वृद्धि है। 2018 में बीआरएस ने 88 सीटें हासिल कीं थीं, जबकि कांग्रेस केवल 19 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। कांग्रेस ने 28.4 फीसदी वोट हासिल किए थे।भाजपा ने दोगुना किया अपना वोट शेयर
कुछ उपचुनावों और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में जीत हासिल करने के बाद बीआरएस के लिए भाजपा एक शुरुआती प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरी। भाजपा ने अपना वोट शेयर दोगुना कर लिया। उसने कुल आठ सीटों पर जीत हासिल की है। 2018 के चुनावों में भगवा पार्टी ने सात फीसदी वोट शेयर के साथ सिर्फ एक सीट हासिल की थी।
आक्रामक अभियान से मिलीं भाजपा को और सीटें
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने कहा कि पार्टी का मानना है कि पिछड़ी जाति के नेता को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने के अपने वादे और अनुसूचित जाति के वर्गीकरण पर एक समिति बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता के कारण उसे वोट और सीटें मिलीं। भगवा पार्टी नेता ने अपनी राय दी कि अगर भाजपा ने इन दो मुद्दों पर आक्रामक अभियान नहीं चलाया होता तो कांग्रेस को और अधिक लाभ हो सकता था।
कांग्रेस ने टीडीपी समर्थकों से वोट से हासिल की बढ़त
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार तेलकापल्ली रवि ने कहा कि भाजपा ने बीआरएस के वोट शेयर को अपने पक्ष में मोड़ने में सफलता हासिल की। कुछ पर्यवेक्षकों के मुताबिक, कांग्रेस ने तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के समर्थकों से वोट हासिल करके बढ़त हासिल की। टीडीपी ने 2018 के विधानसभा चुनावों में 3.5 फीसदी वोट और दो सीटें हासिल की थीं।
एआईएमआईएम ने बरकरार रखी सीटों की संख्या
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम पार्टी ने अपनी सीटों की संख्या बरकरार रखी। हैदराबाद-केंद्रित पार्टी ने सात सीटें हासिल कीं, 2018 में 2.7 फीसदी की तुलना में 2.2 फीसदी वोट हासिल किए। तेलंगाना विधानसभा के लिए चुनाव 30 नवंबर को आयोजित किए गए थे और मतगणना तीन दिसंबर को की गई थी।