अभिनेता और राज्यसभा सदस्य कमल हासन ने कहा है कि शिक्षा ही एकमात्र हथियार है जो तानाशाही और सनातन धर्म की जंजीरों को तोड़ सकती है। मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) नेता रविवार को चेन्नई में अगरम फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब महाराष्ट्र के एक पूर्व मंत्री ने भी जातिगत अत्याचारों के लिए सनातन धर्म को ज़िम्मेदार ठहराया और उसके और हिंदू धर्म के बीच अंतर करने की कोशिश की। एनसीपी-एसपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, “सनातन धर्म नाम का कोई धर्म कभी था ही नहीं। हम हिंदू धर्म के अनुयायी हैं।”
हासन ने अपने भाषण में कहा कि अपने हाथ में कुछ और मत लो, सिर्फ़ शिक्षा लो। इसके बिना हम जीत नहीं सकते, क्योंकि बहुमत तुम्हें हरा सकता है। ज़्यादातर मूर्ख तुम्हें हरा देंगे… इसलिए हमें इसे (शिक्षा को) मज़बूती से थामे रखना चाहिए। हासन ने आगे कहा कि 2017 में मेडिकल शिक्षा में दाखिले के लिए नीट की शुरुआत ने कई छात्रों के लिए अवसरों को “कम” कर दिया है। सांसद ने हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के साथ हुई बातचीत का भी ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने अगरम फाउंडेशन के काम के बारे में बात की थी।
उन्होंने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री से कहा कि एनजीओ पैसे जैसी कोई चीज़ नहीं मांग रहे हैं – वे सिर्फ़ काम करने की इजाज़त मांग रहे हैं। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। मुझे इस काम में शामिल होने पर गर्व है।” हासन ने अपने संबोधन का समापन इस बात पर ज़ोर देते हुए किया कि असली नेताओं के काम को अक्सर पहचान नहीं मिलती, भले ही वे अपने पीछे कितना भी गहरा प्रभाव छोड़ जाएँ। “नेतृत्व का मतलब सत्ता में बने रहना नहीं है, बल्कि बदलाव लाना है, भले ही आपका नाम लहरों के साथ मिट जाए।”