Wednesday , July 2 2025
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‘मोदी राज’ में देश पर कर्ज का बोझ चरम पर और मोदी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं, कांग्रेस का केंद्र सरकार पर वार

कांग्रेस ने व्यक्तिगत कर्जदारों के प्रति व्यक्ति कर्ज में वृद्धि को लेकर बुधवार को केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि सरकार आंकड़ों और विशेषज्ञों का सहारा लेकर वास्तविक कमियों को छिपाने का लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन ‘मोदी राज’ में देश पर कर्ज का बोझ चरम पर है। कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने सरकार पर हमला करने के लिए मीडिया रिपोर्टों के स्क्रीनशॉट साझा किए।

जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि मोदी सरकार ने पिछले ग्यारह सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कोई प्रयास नहीं किया गया, केवल पूंजीपति मित्रों के लिए सारी नीतियां बनाई गईं, जिसके नुकसान आज देश की जनता भुगत रही है। यह सच्चाई किसी न किसी तरह हर रोज हमारे सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट से भारत की अर्थव्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है।  सरकार कि ओर से आंकड़ेबाजी और एक्सपर्ट्स का सहारा लेकर असली कमियों को छुपाने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन इस सच्चाई से कोई इनकार नही कर सकता कि देश पर कर्ज का बोझ मोदीराज में चरम पर है।

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि 2 साल में प्रति व्यक्ति कर्ज ₹90,000 बढ़कर ₹4.8 लाख हो गया है। आमदनी का 25.7% हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रही है। सबसे ज्यादा 55% लोन तथाकथित रूप से क्रेडिट कार्ड, मोबाइल EMI आदि के लिए जा रहा है, जिसका मतलब है इस महंगाई में परिवारों की आय में उनका गुजारा नहीं हो रहा है और वे कर्ज लेने पर मजबूर हैं। असुरक्षित कर्ज 25% पार हो चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि मार्च 2025 तक भारत पर दूसरे देशों/बाहरी कर्ज 736.3 बिलियन डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा है।

रमेश ने कहा कि युवाओं को नौकरी नहीं, किसान आत्महत्या कर रहे, महंगाई से जनता त्रस्त, संस्थाओं को कुचला जा रहा है। उन्होंने तंज लहजे में कहा कि जनता कर्ज में डूब रही है और मोदी जी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं, उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। सीधा सवाल यह है कि जब सारे सरकारी प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप या प्राइवेट भागीदारी से ही हो रहे हैं तो देश पर कर्जा क्यों बढ़ रहा है। हर देशवासी पर 4,80,000 रु कर्जा क्यों हो गया है?