शिमला/मंडी बादल फटने से हुई तबाही में मरने वालों की संख्या 19 हो गई है। मंडी जिले में लापता लोग 34 से बढ़कर 56 हो गए हैं। इनमें सर्वाधिक 46 लोग सराज क्षेत्र के हैं।
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से हुई तबाही में मरने वालों की संख्या 19 हो गई है। मंडी जिले में लापता लोग 34 से बढ़कर 56 हो गए हैं। इनमें सर्वाधिक 46 लोग सराज क्षेत्र के हैं। थुनाग में आठ, गोहर में छह लोगों की मौत, करसोग में एक की मौत, कांगड़ा में दो, नादौन और जोगिंद्रनगर में एक-एक जान गई है। 370 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंडी के प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद रेस्क्यू और आपदा राहत के लिए वायुसेना की मदद मांगी है। सराज के थुनाग में 16, पखरैर में 18, जरोल में 7, चिऊणी में 4 और पांडवशीला में एक व्यक्ति लापता है। गोहर उपमंडल के स्यांज और बाड़ा परवाड़ा में छह लोगों की मौत हुई हैं जबकि आठ लापता हैं। करसोग उपमंडल में एक की मौत हुई है। जबकि दो लोग लापता हैं। बादल फटने और भूस्खलन के चलते थुनाग और जंजैहली उपमंडल में सड़कें ध्वस्त हो गई हैं। कई क्षेत्रों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हैं।
सोमवार रात को बादल फटने और भारी बारिश-भूस्खलन से प्रदेश में 100 से अधिक सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मंडी में 148 घर, 104 गोशालाएं, 14 पुल ध्वस्त हो गए हैं। 31 गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं। प्रदेश में 918 बिजली ट्रांसफार्मर व 683 पेयजल योजनाएं ठप हैं। कुल्लू की बंजार घाटी में फंसे करीब 250 सैलानी सुरिक्षत निकाल लिए गए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस मानसून सीजन के दाैरान 20 जून से 2 जुलाई तक प्रदेश में आपदा से 63 लोगों की माैत हो चुकी है। 109 लोग घायल हुए हैं और 40 लापता हैं। 13 पक्के व 44 कच्चे मकान भी ध्वस्त हो गए। 179 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। कुल 40,702.43 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। वहीं सड़क हादसों में 26 लोगों की माैत हुई है।