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झुंझुनू के शहीद जवान की बेटी बोली, मैं भी अपने पापा की तरह सैनिक बनना चाहती हूं और उनकी शहादत का बदला लूंगी एक.एक को खत्म करूंगी

झुंझुनू देश की रक्षा करते हुए ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए झुंझुनूं के वीर सपूत सुरेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर आज सुबह सैन्य सम्मान के साथ झुंझुनूं लाया गया। इस दौरान जिला कलेक्टर रामावतार मीणा और पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी भी मौजूद रहे।

देश की सीमा की रक्षा करते हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए झुंझुनूं जिले के वीर सपूत सुरेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर आज सुबह सैन्य सम्मान के साथ झुंझुनूं पहुंचा। उनके साथ जिला कलेक्टर रामावतार मीणा और पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी भी मौजूद थे। इसके बाद पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव मेहरादासी (तहसील मंडावा) ले जाया गया, जहां उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

‘मेरे पापा पर मुझे गर्व है’

शहीद सार्जेंट सुरेंद्र मोगा की बेटी वर्तिका ने कहा, “मुझे गर्व है कि मेरे पापा देश की रक्षा करते हुए दुश्मनों को मारते हुए शहीद हुए। हमने उनसे आखिरी बार कल रात 9 बजे बात की थी। उन्होंने कहा था कि ड्रोन घूम रहे हैं लेकिन हमला नहीं कर रहे। पाकिस्तान को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए। मैं भी अपने पापा की तरह सैनिक बनना चाहती हूं और उनकी शहादत का बदला लूंगी। एक-एक को खत्म करूंगी।”

शहीद सुरेंद्र कुमार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई

शहीद सुरेंद्र कुमार का अंतिम संस्कार झुंझुनूं जिले के मंडावा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। अंतिम संस्कार में जिले के प्रभारी कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत, उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा, सैनिक कल्याण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़, राज्यसभा सांसद मदन राठौड़, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविंद डोटासरा, झुंझुनू सांसद बृजेंद्र ओला, मंडावा विधायक रीटा चौधरी, मदरसा बोर्ड अध्यक्ष एमडी चोपदार, नवलगढ़ प्रधान दिनेश सुंडा भी पहुंचे।

शहीद सुरेंद्र कुमार 15 अप्रैल को ही अपने परिवार से मिलकर ड्यूटी पर लौटे थे। वे अपने पीछे 8 साल की बेटी और 5 साल का बेटा छोड़ गए हैं। परिजनों ने बताया कि उन्होंने हाल ही में गांव में नया मकान बनवाया था और कुछ दिन पहले ही गृह प्रवेश हुआ था। गांव में वे युवाओं को सेना में भर्ती की तैयारी करवाते थे और कई नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत थे।