दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सीबीएसई के नतीजे घोषित होने के बाद दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टॉपर्स की उपलब्धियों को मान्यता न देने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनकी सरकार की तीखी आलोचना की। छात्रों की कड़ी मेहनत के बावजूद, सिसोदिया ने सीएम की ओर से मान्यता न मिलने की ओर इशारा करते हुए पिछले वर्षों के साथ एक तीव्र विरोधाभास को उजागर किया। सिसोदिया ने कहा, “8 दिनों से मुख्यमंत्री ने अपने ही सरकारी स्कूलों के टॉपर्स को बधाई देना भी ज़रूरी नहीं समझा।” उन्होंने किसी भी आधिकारिक मान्यता के अभाव पर निराशा व्यक्त की।
सिसोदिया ने एक्स पर लिखा कि सीबीएसई रिज़ल्ट आए 8 दिन हो गए… लेकिन अफ़सोस, दिल्ली की मुख्यमंत्री ने अब तक अपने ही सरकारी स्कूलों के टॉपर्स को बधाई देना ज़रूरी नहीं समझा। इतनी बेरुख़ी? इतनी बेपरवाही? बच्चों ने सालभर मेहनत की… परिवारों ने सपने संजोए… और मुख्यमंत्री साहिबा को इतनी भी फुर्सत नहीं कि एक फ़ोन कर दें? इतना ही नहीं — दिल्ली सरकार ने अब तक पास प्रतिशत और टॉपर्स के नाम तक घोषित नहीं किए।
उन्होंने आगे कहा कि 2015 से हर साल, उसी दिन नाम घोषित होते थे… मैं और मुख्यमंत्री दोनों बच्चों को बधाई देते थे….दो-तीन दिन के भीतर CM खुद कई टॉपर्स को अपने घर बुलाते थे, मिलते थे… उनके घर ज़ाकर बधाई देते थे, सभी स्कूलों के टॉपर्स को उनके पैरेंट्स और टीचर्स के साथ त्यागराज स्टेडियम में बुलाकर सम्मानित किया जाता था। लेकिन आज सत्ता की कुर्सी इतनी बड़ी हो गई है कि बच्चों की मेहनत, उनका जज़्बा, उनके सपने — सब छोटे लगने लगे हैं। दिल्ली के नए हुक्मरान बच्चों की आंखों में झांकने से डरते हैं। ये संवेदनहीनता नहीं, सियासी पतन है।