शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को आरोप लगाया कि भाजपा भाषा के आधार पर लोगों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही है और सत्तारूढ़ पार्टी पर महाराष्ट्र में ‘भाषा आपातकाल’ लगाने का आरोप लगाया। यहां पत्रकारों से बात करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी, जो कि भाजपा की पूर्व सहयोगी है, हिंदी के विरोध में नहीं है, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि वह निश्चित रूप से मराठी भाषी राज्य में भाषा को थोपे जाने के खिलाफ है।
मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को हिंदी पढ़ाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच उन्होंने जोर देकर कहा, “हम किसी भी भाषा का विरोध या नफरत नहीं करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी भी भाषा को थोपने की अनुमति देंगे।” उन्होंने दावा किया, “भाजपा भाषा के आधार पर लोगों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रही है।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का छिपा हुआ एजेंडा हिंदी थोपना है। पूर्व सीएम ने दावा किया, “सत्तारूढ़ पार्टी भाषा आपातकाल लगा रही है।
महाराष्ट्र में स्कूलों में मराठी और अंग्रेजी के अलावा तीसरी के रूप में हिंदी पढ़ाने को लेकर पैदा विवाद के बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद संजय राउत ने मंगलवार को दावा किया कि राज्य सरकार का इस मुद्दे पर एक के बाद एक बैठकें करने का कदम मराठी का ‘‘अपमान’’ है। राउत ने पत्रकारों से बातचीत में मराठी साहित्य की प्रमुख शख्सियतों और हस्तियों की ‘‘चुप्पी’’ पर भी सवाल उठाया और दावा किया कि इनमें से कई सरकार से जुड़े होने के कारण इस मुद्दे पर बोल नहीं रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई कैबिनेट मंत्रियों और साहित्यिक हस्तियों के बच्चे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ते हैं, इसलिए उनके पास मराठी के संरक्षण के बारे में बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है।