महाराष्ट्र में हिंदी भाषा विवाद पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि मैं हर भाषा का समर्थन और सम्मान करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि यह भारतीय भाषाओं की खूबसूरती है कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। हर कुछ किलोमीटर पर हमारी बोली बदल जाती है। मैं भाषाओं को दोस्त मानता हूं, वे एक साथ खुशी-खुशी बढ़ी हैं। लेकिन जिस तरह से कुछ स्वार्थी राजनीतिक दल भेदभाव की राजनीति को बढ़ावा देते हैं – चाहे वह जाति, धर्म, क्षेत्र और अब भाषा हो। मैं इसका बिल्कुल भी समर्थन नहीं करता।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत का संविधान हमें देश के किसी भी कोने में रहने और कोई भी भाषा बोलने की अनुमति देता है। मैं सभी भाषाओं का सम्मान करता हूं, लेकिन आप हमारी भाषा का उतना ही सम्मान करें जितना हम आपकी भाषा का करते हैं। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के सालों बाद साथ आने पर चिराग पासवान ने कहा कि वे भाषा के लिए नहीं, बल्कि अपने स्वार्थ के लिए साथ आ रहे हैं। वे अपना खोया हुआ आधार वापस पाने के इरादे से साथ आ रहे हैं। दोनों भाइयों ने देखा कि अलग रहने से न केवल उनकी ताकत कम हुई बल्कि खत्म भी हो गई।
युवा नेता ने कहा कि मुझे यकीन नहीं है कि उन्होंने अपने मतभेद सुलझाए हैं…मेरा मानना है कि वे सिर्फ़ अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए साथ आए हैं। मुझे नहीं लगता कि उनके दिल इतनी जल्दी जुड़ जाते और राजनीतिक मतभेद खत्म हो जाते। उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि वह और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे ‘‘एकसाथ रहने के लिए साथ आए हैं।’’ उद्धव ने लगभग 20 वर्ष बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख के साथ राजनीतिक मंच साझा किया।
उन्होंने यह भी कहा कि वह और राज मिलकर मुंबई नगर निगम और महाराष्ट्र की सत्ता पर कब्जा करेंगे। उद्धव ने कहा, ‘‘हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं।’’ दो दशकों के बाद उद्धव और राज ने सार्वजनिक मंच साझा किया और ‘आवाज मराठीचा’ नामक एक विजय सभा आयोजित की जो राज्य के स्कूलों में कक्षा एक से तीसरी के रूप में हिंदी को शामिल करने के लिए सरकार द्वारा पहले जारी किए गए दो सरकारी आदेशों को वापस लेने का जश्न मनाने के लिए की गई।