नई दिल्ली
- शुभांशु शुक्ला और अन्य सदस्यों को अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण के साथ तालमेल बिठाने में कुछ दिन लगे, अब धरती पर वापस आने पर उनके शरीर को पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के साथ सामंजस्य बिठाने में भी कुछ समय लग सकता है। इस तरह के परिवर्तनों का इंसानी शरीर पर भी कई प्रकार से नकारात्मक असर होता है।
18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने के दौरान उन्होंने करीब 60 प्रयोग किए, जिनमें से सात प्रयोग इसरो के थे। शुभांशु अपने साथ 263 किलो वैज्ञानिक सामान लेकर धरती पर लौट रहे हैं, जिससे भविष्य में अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बड़ी मदद मिल सकती है।
पहले शुभांशु शुक्ला और अन्य सदस्यों को अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण के साथ तालमेल बिठाने में कुछ दिन लगे, अब धरती पर वापस आने पर उनके शरीर को पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के साथ सामंजस्य बिठाने में भी कुछ समय लग सकता है। इस तरह के परिवर्तनों का इंसानी शरीर पर कई प्रकार से नकारात्मक असर होता है।
आइए समझते हैं कि धरती पर वापस लौटने के बाद शुभांशु और उनकी टीम को किस तरह की स्वास्थ्य सबंधित दिक्कतें हो सकती हैं और इसका विशेषज्ञों की टीम किस प्रकार से ध्यान रखेगी?
अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद बातचीत के दौरान शुभांशु ने बताया था कि लो-गैव्रिटी वाले वातावरण में ढलने में शुरुआती कुछ दिनों में उन्हें काफी कठिनाई हुई।
चार सदस्यीय दल की एकमात्र सदस्य कमांडर पैगी व्हिटसन, जिन्होंने पहले अंतरिक्ष और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर समय बिताया था, उन्होंने कहा कि वह अंतरिक्ष के सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण वातावरण के साथ पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की तुलना में कहीं बेहतर तालमेल बिठा लेती हैं।
लैंडिंग के बाद क्या होगा?
रिपोर्ट्स के अनुसार, शुभांशु शुक्ला को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में पुनः प्रवेश करने के बाद 7 दिनों के अनिवार्य रिहैविलेशन से गुजरना होगा। इसके तहत अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर को वापस पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में ढालने का प्रयास किया जाता है। इस दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के कई मेडिकल टेस्ट भी किए जाते हैं जिससे उनके शारीरिक स्थिति की आकलन किया जा सके।
आईएसएस में रहने के दौरान, शुभांशु शुक्ला में ऑर्थोस्टेटिक इंटालरेंस के गंभीर लक्षण दिखाई देने की खबरें आईं थी, जो एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के दौरान ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में कठिनाई महसूस होती है। धरती पर वापसी के बाद ब्लड प्रेशर और हृदय स्वास्थ्य से संबंधित कई जांच किए जाएंगे।
मेडिकल रिपोर्टस से पता चलता है माइक्रोग्रैविटी के बाद दोबारा से गुरुत्वाकर्षण में आने के बाद थकान, चलने में कठिनाई होने के साथ और शरीर का बैलेंस बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं होता। इसके अलावा माइक्रोग्रैविटी में, मांसपेशियां उस तरह से भार सहन नहीं कर पातीं, जैसा कि वे पृथ्वी पर करती हैं। इसके परिणामस्वरूप, अगले कुछ महीनों तक शुभांशु को मसल्स अटॉर्फी की दिक्कत भी हो सकती है। मसल्स अटॉर्फी में मांसपेशी के ऊतकों का क्षय हो जाता है और ये बहुत पतले हो जाते हैं।
वापस लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को अपनी मांसपेशियां कमजोर लग सकती हैं, जिससे खड़े होना, चलना और संतुलन बनाना शुरू में काफी मुश्किल हो सकता है।