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एक शिक्षक द्वारा कथित यौन उत्पीड़न किए जाने के बाद खुद को आग लगाने वाली कॉलेज छात्रा की मौत ‘सिस्टम की नाकामी’ के कारण हुई: नवीन पटनायक

एक शिक्षक द्वारा कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किए जाने के बाद आत्मदाह करने वाली कॉलेज छात्रा का अंतिम संस्कार मंगलवार को ओडिशा के बालासोर जिले में उसके पैतृक गांव में किया गया। गांव के श्मशान घाट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बालासोर से सांसद प्रताप सारंगी और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों सहित हजारों लोगों की मौजूदगी में छात्रा के चचेरे भाई ने उसे मुखाग्नि दी। स्थानीय लोगों ने नम आंखों से छात्रा को अंतिम विदाई दी। उसके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग श्मशान घाट पहुंचे। छात्रा के पिता की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया और मैं यह लड़ाई जारी रखूंगा। मुझे न धन की जरूरत है, न किसी मुआवजे की। मुझे मेरी बेटी चाहिए। क्या सरकार मेरी बच्ची को मुझे वापस ला सकती है?’’ जब छात्रा की मां से उनकी मांगों के बारे में पूछा गया तो वे बस इतना ही कह सकीं, ‘‘कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मैं कुछ कहने की हालत में नहीं हूं।’’

ओडिशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नवीन पटनायक ने मंगलवार को कहा कि एक शिक्षक द्वारा कथित यौन उत्पीड़न किए जाने के बाद खुद को आग लगाने वाली कॉलेज छात्रा की मौत ‘‘सिस्टम की नाकामी’’ के कारण हुई। कॉलेज छात्रा की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए, पटनायक ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘यह सोचकर और भी दुख होता है कि कैसे एक नाकाम सिस्टम किसी की जान ले सकता है। सबसे पीड़ादायक बात यह है कि यह कोई हादसा नहीं था, बल्कि एक ऐसे सिस्टम का नतीजा था जो मदद करने के बजाय खामोश बना रहा। न्याय के लिए लड़ते-लड़ते आखिरकार उस लड़की ने अपनी आंखें हमेशा के लिए बंद कर लीं।’’

पटनायक ने कहा कि बड़ी हिम्मत के साथ, छात्रा ने कॉलेज के प्राचार्य को पत्र लिखकर अपने साथ हुए ‘‘यौन उत्पीड़न’’ के बारे में बताया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कॉलेज प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने के बाद भी उसने हार नहीं मानी। न्याय के लिए उसने उच्च शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री कार्यालय और यहां तक कि एक केंद्रीय मंत्री से भी संपर्क किया।’’ उन्होंने कहा कि बहादुर छात्रा ने बालासोर के सांसद से मिलकर अपनी पीड़ा साझा की।

पटनायक ने कहा, ‘‘अगर किसी एक व्यक्ति ने भी जिम्मेदारी ली होती और व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया होता तो शायद उस लड़की की जान बचाई जा सकती थी। उसकी जान सिर्फ शारीरिक आघात के कारण नहीं, बल्कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण भी गई जिसने उसकी लड़ाई में उसे अकेला छोड़ दिया।’’ बीजू जनता दल (बीजद) अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पूरे घटनाक्रम से पता चलता है कि यह संस्थागत विश्वासघात से कम नहीं है-एक सुनियोजित अन्याय। मैं एक बार फिर माननीय राज्यपाल से आग्रह करता हूं कि वे यह सुनिश्चित करें कि न केवल कॉलेज प्रशासन, बल्कि सत्ता में बैठे लोग भी जवाबदेह ठहराए जाएं जिन्होंने छात्रा की गुहार के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की।’’