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संसद का मानसून सत्र कुल से शुरू, केंद्र सरकार को घेरने के लिए विपक्ष एकजुट

नई दिल्ली

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा। इसमें कुल 21 बैठकें होंगी। मानसून सत्र से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। आइए जानते हैं किन-किन मुद्दों पर बात हुई?

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। मानसून सत्र में केंद्र सरकार को घेरने के लिए विपक्ष एकजुट हो गया है। रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने तमाम मुद्दे उठाए। इस दौरान विपक्ष ने पहलगाम हमला, भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम पर ट्रंप के दावे पर सरकार के जवाब, बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर बात की। संसद का यह मानसून सत्र 21 अगस्त तक चलेगा। इसमें कुल 21 बैठकें होंगी।

कांग्रेस ने इन मुद्दों को उठाएगी
सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि इस सत्र में हम पहलगाम हमला, बांग्लादेश सीमाओं पर संघर्ष, बिहार में विशेष मतदाता पुनरीक्षण, ट्रंप के दावों समेत कई मुद्दे उठाएंगे। प्रधानमंत्री का यह कर्तव्य और नैतिक जिम्मेदारी है कि वे संसद के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित करें। मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री अपना नैतिक और नैतिक कर्तव्य निभाएंगे।

उन्होंने कहा कि कई अहम मुद्दे हैं जिन पर सरकार को अपनी बात रखनी चाहिए। पहला मुद्दा पहलगाम का है और उस पर उपराज्यपाल द्वारा दिए गए बयान भी गंभीर हैं। काफी समय बीत चुका है और अब सरकार को इस पर स्पष्ट रूप से अपनी स्थिति संसद में रखनी चाहिए।

उन्होंने कहा, दूसरा मुद्दा अमेरिकी राष्ट्रपति के हालिया बयान से जुड़ा है, जो भारत की गरिमा और हमारी सेना की वीरता पर सवाल उठाने का है। इसका जवाब सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री ही दे सकते हैं। तीसरा अहम मुद्दा मतदान के अधिकार और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा है। आज जब चुनाव आयोग विभिन्न राजनीतिक दलों से संवाद से बच रहा है, स्पष्टता नहीं दे रहा है, तो आगामी राज्य चुनावों और लोकतांत्रिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे संसद में आकर सरकार का पक्ष रखें।

गोगोई ने कहा कि तीसरी बात ये है कि हमारे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा उठाया है। चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ हमारी सीमा पर जो दो-मोर्चे की धुरी बन गई है, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम रक्षा और विदेश नीति पर बात करें। प्रधानमंत्री मोदी का इस सदन में आना और इन तीनों विषयों पर अपने विचार रखना बहुत महत्वपूर्ण होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर से संबंधित कई विधेयक ला रही है, लेकिन प्रधानमंत्री ने पहले कहा था कि कुछ महीनों में मणिपुर में शांति लौटेगी। अब लगभग ढाई साल बीत चुके हैं, लेकिन वहां अभी भी अशांति का माहौल बना हुआ है। प्रधानमंत्री छोटे-छोटे देशों की यात्रा तो करते हैं, लेकिन अपने ही देश के एक छोटे राज्य में, जहां अब भी हालात गंभीर हैं, वहां जाने से परहेज कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि आगामी संसद सत्र में इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सकारात्मक और गंभीर चर्चा होगी, और प्रधानमंत्री इन पर सदन में अपना पक्ष स्पष्ट करेंगे।