नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई महीने के आखिरी रविवार यानी आज ‘मन की बात’ को संबोधित किया। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कई अहम मुद्दों पर बात की। आइए हर मुद्दे पर पीएम मोदी ने क्या-क्या कहा, जानते हैं…
उन्होंने कहा कि बस से कहीं आना-जाना कितनी सामान्य बात है, लेकिन मैं आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताना चाहता हूं, जहां पहली बार एक बस पहुंची। इस दिन का वहां के लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे। और जब गांव में पहली बार बस पहुंची तो लोगों ने ढोल-नगाड़े बजाकर उसका स्वागत किया। गांव में पक्की सड़क थी, लोगों को जरूरत थी, लेकिन पहले कभी यहां बस नहीं चल पाई थी। क्यों, क्योंकि ये गांव माओवादी हिंसा से प्रभावित था। यह जगह है महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में, और इस गांव का नाम है, काटेझरी। काटेझरी में आए इस परिवर्तन को आसपास के पूरे क्षेत्र में महसूस किया जा रहा है। अब यहां हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। माओवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई से अब ऐसे क्षेत्रों तक भी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगी है। गांव के लोगों का कहना है कि बस के आने से उन लोगों का जीवन बहुत आसान हो जाएगा।
पीएम मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ में हम छत्तीसगढ़ में हुए बस्तर Olympics और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में Science Lab पर चर्चा कर चुके हैं। यहां के बच्चों में Science का Passion है। वो Sports में भी कमाल कर रहे हैं। ऐसे प्रयासों से पता चलता है कि इन इलाकों में रहने वाले लोग कितने साहसी होते हैं। इन लोगों ने तमाम चुनौतियों के बीच अपने जीवन को बेहतर बनाने की राह चुनी है। मुझे यह जानकार भी बहुत खुशी हुई कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में दंतेवाड़ा जिले के नतीजे बहुत शानदार रहे हैं। करीब 95% Result के साथ ये जिला 10वीं के नतीजों में Top पर रहा। वहीं 12वीं की परीक्षा में इस जिले ने छत्तीसगढ़ में छठा स्थान हासिल किया।
उन्होंने कहा कि पिछले केवल पांच वर्षों में गुजरात के गिर में शेरों की आबादी 674 से बढ़कर 891 हो गई है। Lion Census के बाद सामने आई शेरों की ये संख्या बहुत उत्साहित करने वाली है। गुजरात ऐसा पहला राज्य बना, जहां बड़े पैमाने पर Forest Officers के पद पर महिलाओं की तैनाती की गई। आज हम जो नतीजे देख रहे हैं, उसमें इन सभी का योगदान है। Wild Life Protection के लिए हमें ऐसे ही हमेशा जागरुक और सतर्क रहना होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर की बात ही कुछ और है, वहां का सामर्थ्य, वहां की प्रतिभा, वाकई अद्भुत है। मुझे एक दिलचस्प कहानी पता चली है क्राफ्टेड फाइबर की। क्राफ्टेड फाइबर ये सिर्फ एक ब्रांड नहीं है, सिक्किम की परंपरा, बुनाई की कला, और आज के फैशन की सोच तीनों का सुंदर संगम है। इसकी शुरुआत की डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया ने। पेशे से वो पशु चिकित्सक हैं और दिल से सिक्किम की संस्कृति के सच्चे ब्रांड एंबेसडर। उन्होंने सोचा क्यूं न बुनाई को एक नया आयाम दिया जाए और इसी सोच से जन्म हुआ क्राफ्टेड फाइबर का। उन्होंने पारंपरिक बुनाई को आधुनिक फैशन से जोड़ा और इसे बनाया एक सामाजिक उद्यम। अब उनके यहां केवल कपड़े नहीं बनते, उनके यहां जिंदगियां बुनी जाती हैं। वे स्थानीय लोगों को कौशल प्रशिक्षण देते हैं, उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं। गांवों के बुनकर, पशुपालक और स्वयं सहायता समूह इन सबको जोड़कर डॉ. भूटिया ने रोजगार के नए रास्ते बनाए हैं।
उन्होंने कहा कि आज मैं आपको एक ऐसे शानदार व्यक्ति के बारे में बताना चाहता हूं जो एक कलाकार भी हैं और जीती-जागती प्रेरणा भी हैं। नाम है -जीवन जोशी, उम्र 65 साल। अब सोचिए, जिनके नाम में ही जीवन हो, वो कितनी जीवंतता से भरे होंगे। जीवन जी उत्तराखंड के हल्द्वानी में रहते हैं। बचपन में पोलियो ने उनके पैरों की ताकत छीन ली थी, लेकिन पोलियो, उनके हौसलों को नहीं छीन पाया। उनके चलने की रफ्तार भले कुछ धीमी हो गई, लेकिन उनका मन कल्पना की हर उड़ान उड़ता रहा। इसी उड़ान में, जीवन जी ने एक अनोखी कला को जन्म दिया नाम रखा ‘बगेट’। इसमें वो चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियां बनाते हैं। वो छाल, जिसे लोग आमतौर पर बेकार समझते हैं- जीवन जी के हाथों में आते ही धरोहर बन जाती है। उनकी हर रचना में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू होती है। कभी पहाड़ों के लोक वाद्ययंत्र, तो कभी लगता है जैसे पहाड़ों की आत्मा उस लकड़ी में समा गई हो।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में कुछ समय पहले तक जिन महिलाओं को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, आज वे ही महिलाएं ड्रोन से 50 एकड़ जमीन पर दवा के छिड़काव का काम पूरा कर रही हैं। सुबह तीन घंटे, शाम दो घंटे और काम निपट गया। धूप की तपन नहीं, जहर जैसे रसायनों का खतरा नहीं। गांववालों ने भी इस परिवर्तन को दिल से स्वीकार किया है। अब ये महिलाएं ‘ड्रोन ऑपरेटर’ नहीं, ‘स्काई वॉरियर्स’ के नाम से जानी जाती हैं। ये महिलाएं हमें बता रही हैं- बदलाव तब आता है जब तकनीक और संकल्प एक साथ चलते हैं।
योग दिवस का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 21 जून 2015 में ‘योग दिवस’ की शुरुआत के बाद से ही इसका आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। इस बार भी ‘योग दिवस’ को लेकर दुनिया भर में लोगों का जोश और उत्साह नजर आ रहा है। आंध्र प्रदेश की सरकार ने योग आंध्रा अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य पूरे राज्य में योग संस्कृति को विकसित करना है। इस अभियान के तहत योग करने वाले 10 लाख लोगों का एक समूह बनाया जा रहा है। मुझे इस वर्ष विशाखापत्तनम में ‘योग दिवस’ कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि इस बार भी हमारे युवा साथी, देश की विरासत से जुड़ी प्रतिष्ठित स्थान पर योग करने वाले हैं। कई युवाओं ने नए रिकार्ड बनाने और योग श्रृंखला का हिस्सा बनने का संकल्प लिया है।
उन्होंने कहा कि 24 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक और मेरे मित्र तुलसी भाई की मौजूदगी में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया है। इस समझौते के साथ ही स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण के तहत एक समर्पित पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल पर काम शुरू हो गया है। इस पहल से आयुष को पूरी दुनिया में वैज्ञानिक तरीके से अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
पीएम मोदी ने कहा कि आपने स्कूलों में ब्लैकबोर्ड तो देखा होगा, लेकिन अब कुछ स्कूलों में ‘सुगर बोर्ड’ भी लगाया जा रहा है – ब्लैक बोर्ड नहीं, शुगर बोर्ड! CBSE की इस अनोखी पहल का उद्देश्य है- बच्चों को उनके चीनी के सेवन के प्रति जागृत करना। कितनी चीनी लेनी चाहिए, और कितनी चीनी खाई जा रही है- ये जानकर बच्चे खुद से ही सेहतमंद विकल्प चुनने लगे हैं। यह एक अनोखा प्रयास है और इसका असर भी बड़ा सकारात्मक होगा। बचपन से ही स्वस्थ जीवनशैली की आदतें डालने में यह काफी मददगार साबित हो सकता है।