नई दिल्ली
कोरोना के दोनों वैरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 के मामले कई देशों में काफी तेजी से बढ़े हैं, भारतीय आबादी में भी इसके कारण संक्रमण में तेजी से उछाल आया है। डब्ल्यूएचओ ने अब इसे वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग के रूप में वर्गीकृत कर दिया है।
दिसंबर 2019 के आखिरी के हफ्तों में शुरू हुई कोरोना महामारी अब भी खत्म नहीं हुई है। पिछले कुछ महीनों से संक्रमण की रफ्तार नियंत्रित थी, हालांकि अब एक बार फिर से ये वायरस सक्रिय हो गया है। आरएनए वायरस अपनी प्रकृति के हिसाब से लगातार म्यूटेट होते रहते हैं, इसी क्रम में कोरोनावायरस में भी म्यूटेशन देखा जाता रहा है और नए वैरिएंट्स भी सामने आते रहे हैं।
पिछले एक-दो साल में दुनियाभर में ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए गए हैं। इस बार के बढ़ते प्रकोप के लिए भी ओमिक्रॉन के ही सब-वैरिंट्स (NB.1.8.1 और LF.7) को जिम्मेदार पाया गया है।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों के मन में कई सारे प्रश्न हैं, क्या सर्दी-खांसी होते ही कोविड टेस्ट कराना चाहिए? क्या फिर एक लहर आने वाली है, फिर से सभी लोगों को वैक्सीन लेनी होगी…? इसके अलावा क्या इस बार के संक्रमण में भी लोगों को डेल्टा वैरिएंट की तरह सांस की दिक्कतें हो रही हैं और ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है? आइए इसके बारे में विस्तार से समझते हैं।
देश में संक्रमितों को क्या दिक्कतें हो रही हैं, उनमें किस तरह के लक्षण देखे जा रहे हैं, क्या फिर से लोगों को सांस की दिक्कतें हो रही हैं और ऑक्सीजन की जरूरत होगी? इस बारे में समझने के लिए हमने पुणे स्थित एक अस्पताल में क्रिटिकल केयर के डॉक्टर उपेंद्र सिंह से बातचीत की।
डॉक्टर बताते हैं, देश में फिलहाल 1000 से ज्यादा एक्टिव केस हैं। ज्यादातर लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं, बड़ी संख्या में ऐसे मरीज भी हैं जिनको पता भी नहीं है कि वह संक्रमित हैं। हालांकि कोमोरबिडिटी या कमजोर इम्युनिटी वालों को कुछ स्थितियों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। फिलहाल ऐसे रोगियों में कोई अलग या गंभीर लक्षण नहीं देखे गए हैं।
NB.1.8.1 से संक्रमित लोगों में भी अन्य ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट के समान लक्षण देखे जा रहे हैं। इनमें लगातार खांसी, गले में खराश, थकान-सिरदर्द, भूख न लगने, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं देखी जा रही हैं। सांस की समस्या या अन्य गंभीर दिक्कतें नहीं हो रही हैं, ऑक्सीजन की कमी के भी मामले फिलहाल नहीं हैं। वैरिएंट संक्रामक जरूर है पर खतरनाक या जानलेवा नहीं है।