मुंबई सीएम ने साफ किया कि ‘यह विधेयक किसी के भी विरोध प्रदर्शन या धरना-प्रदर्शन करने के अधिकार को नहीं छीनता। इसका उद्देश्य उन लोगों को लक्षित करना है जिनका माओवादी और नक्सली आंदोलनों के प्रतिबंधित संगठनों से संबंध है।’
महाराष्ट्र विधानसभा ने गुरुवार को ‘महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक’ जिसे जन सुरक्षा कानून के नाम से भी जाना जाता है, को ध्वनिमत से पारित कर दिया। प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तरफ से पेश इस विधेयक का उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद, खासकर शहरी नक्सलवाद को नियंत्रित करना है। हालांकि विधानसभा से पास होते ही ये विधेयक विवादों में फंस गया और विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। वहीं सरकार का दावा है कि यह कानून देश विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों पर कार्रवाई के लिए जरूरी है।
‘इस बिल का मकसद सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने वालों को चुप कराना’
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने जन सुरक्षा कानून के पारित होने पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे जनता की आवाज दबाने और सरकार की नाकामियों को छिपाने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा कि ‘कांग्रेस इस तरह के विधेयकों का हमेशा विरोध करेगी, क्योंकि यह जनता के अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। यह विधेयक जन सुरक्षा के नाम पर लाया गया है। लेकिन, इसका मकसद सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने वालों को चुप कराना है।’
वडेट्टीवार ने कहा कि सरकार मौजूदा कानूनों का उपयोग करने के बजाय इस विधेयक के जरिए संविधान की रक्षा करने वालों को देशद्रोही ठहराना चाहती है। उन्होंने दावा किया कि सरकार का असली उद्देश्य मनुस्मृति को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि किसी खास धर्म को निशाना बनाकर बयान देना गलत है। वोट जुटाने के लिए धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजय वेडट्टीवार ने मांग की कि धार्मिक मुद्दों पर बात करते समय सभी धर्मों के लिए समान दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। यह विधेयक सरकार की असफलताओं को छिपाने और जनता के विरोध को कुचलने का हथकंडा है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपने हक के लिए आवाज उठाएं और ऐसे कानूनों का विरोध करें।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता रोहित पवार ने महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक के पारित होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि इससे नक्सलवाद पर लगाम लगेगी। जिसका हम समर्थन करते हैं। हम भी चाहते हैं कि नक्सलवाद का खात्मा हो, इसलिए हमने कल इस बिल का समर्थन किया था। लेकिन, इस विधेयक में कुछ खामियां थीं, जिन्हें लेकर हमने सरकार से जवाब मांगा था। लेकिन, हमें अभी तक इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि विधानसभा में उन्होंने इसकी खामियों को उजागर किया और स्पष्टता की मांग की। विधेयक में ‘समूह’ और ‘व्यक्ति’ की परिभाषा अस्पष्ट है, जिसका भविष्य में गलत इस्तेमाल हो सकता है। रोहित पवार ने कहा कि उनकी पार्टी विधान परिषद में इस विधेयक का विरोध करेगी।
सीएम ने विपक्ष के आरोपों को नकारा
फडणवीस ने कहा, ‘हमने धीरे-धीरे नक्सल आंदोलन को खत्म कर दिया है, जो जंगलों और ग्रामीण इलाकों से संचालित होते थे। ऐसे में इन समूहों ने शहरी मोर्चे बनाने शुरू कर दिए हैं। राज्य में 64 वामपंथी संगठन सक्रिय हैं, जिनमें से छह पहले से ही इसी तरह के कानूनों के तहत अन्य राज्यों में प्रतिबंधित हैं।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक उन संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक क़ानूनी ढांचा प्रदान करता है जो खुद को संवैधानिक और लोकतांत्रिक बताने के बावजूद भारतीय संविधान को नकारने की कोशिश करते हैं।
सीएम ने साफ किया कि ‘यह विधेयक किसी के भी विरोध प्रदर्शन या धरना-प्रदर्शन करने के अधिकार को नहीं छीनता। इसका उद्देश्य उन लोगों को लक्षित करना है जिनका माओवादी और नक्सली आंदोलनों के प्रतिबंधित संगठनों से संबंध है। देश के चार राज्य पहले ही इसी तरह का कानून पारित कर चुके हैं। लोग अभी भी रैलियां और मोर्चे आयोजित करने के लिए स्वतंत्र हैं।’