नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की अंतिम जमानत दो हफ्ते बढ़ा दी है। यादव की मां की हाल ही में सर्जरी हुई थी, इसलिए कोर्ट ने उनकी देखभाल के चलते अंतरिम जमानत बढ़ाई है। मामले में अगले महीने फिर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत दो हफ्ते और बढ़ा दी, ताकि वह अपनी बीमार मां की देखभाल कर सके। विकास यादव इस मामले में 25 साल की सजा काट रहा है। उसे 24 अप्रैल को अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसे 8 मई को बढ़ा दिया गया था।
जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने यह राहत दो और हफ्तों के लिए बढ़ाई, ताकि विकास यादव अपनी मां की देखभाल कर सके, जिनकी हाल ही में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सर्जरी हुई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि विकास यादव की जमानत इसके बाद और आगे नहीं बढ़ाई जाएगी और मामले पर जुलाई में फिर सुनवाई होगी। विकास यादव के वकील ने शीर्ष कोर्ट को बताया था कि उसकी मां की सर्जरी 25 मई को हुई है और अब उन्हें ऑपरेशन के बाद की देखभाल की जरूरत है। घर में कोई भाई-बहन या अन्य सहारा नहीं है, इसलिए उसका साथ रहना जरूरी है। 8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एम्स के मेडिकल बोर्ड की एक रिपोर्ट पर गौर किया था, जिसमें कहा गया था कि विकास यादव की मां की स्थिति स्थिर है और उन्हें छुट्टी दी जा सकती है। एम्स ने यह भी कहा था कि अगर दवाओं और फिजियोथेरेपी से आराम नहीं मिलता, तो रीढ़ की हड्डी की सर्जरी जरूरी होगी। इसके बाद कोर्ट ने मां की देखभाल के लिए विकास की अंतरिम जमानत बढ़ा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को पहली बार विकास यादव को बीमार मां से मिलने के लिए अंतरिम जमानत दी थी और आदेश दिया था कि एम्स के डॉक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड उनकी मां की जांच करे। कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ यह राहत दी थी, जिसमें कहा गया था कि विकास यादव गाजियाबाद स्थित अपने घर में ही रहेंगे और मामले से जुड़े किसी भी गवाह, खासकर नीलम कटारा (नीतीश कटारा की मां) से संपर्क नहीं करेंगे।
विकास यादव उत्तर प्रदेश के नेता डी पी यादव का बेटा है। उसके चचेरे भाई विशाल यादव को भी व्यवसायी नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या के मामले में सजा हुई है। दोनों भाई नीतीश के साथ बहन भारती यादव के रिश्ते के खिलाफ थे, क्योंकि दोनों अलग-अलग जातियों से ताल्लुक रखते थे। इस मामले के तीसरे दोषी सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा सुनाई गई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ट्रायल कोर्ट की ओर से विकास और विशाल यादव को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए यह स्पष्ट किया था कि उन्हें कम से कम 30 साल की सजा काटनी होगी। तीसरे दोषी पहलवान को कोर्ट ने 25 साल की सजा दी थी। दिल्ली के जेल प्रशासन ने पिछले साल विकास यादव की माफी की मांग को ठुकरा दिया था, क्योंकि जेल में उसका आचरण संतोषजनक नहीं पाया गया।