पुणे
एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सातों आरोपियों को बरी कर दिया था। ढोल-नगाड़ों की थाप और पुष्प वर्षा के बीच लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित अपनी पत्नी के साथ खुली जीप में सवार होकर जुलूस के साथ शांतिशीला हाउसिंग सोसाइटी स्थित अपने घर पहुंचे। लोगों ने उनका स्वागत किया।
एनआईए कोर्ट से 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में बरी हुए ले. कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित का पुणे में रविवार को जोरदार स्वागत हुआ। पुणे में लोगों ने कर्नल पुरोहित पर फूल बरसाए। साथ ही ढोल नगाड़ों की धुन पर जमकर झूमे। कर्नल पुरोहित ने कहा कि लोग हमेशा मेरा स्वागत करना चाहते थे, लेकिन मैंने पहले ही कहा था कि मैं बेदाग वापस आऊंगा।
जुलूस के दौरान कर्नल पुरोहित ने कहा कि लोग हमेशा मेरा स्वागत करना चाहते थे। लेकिन मैंने कहा था कि जब तक मैं इस मामले से पूरी तरह बरी नहीं हो जाता, मैं आपको उस तरह की खुशी नहीं दे पाऊंगा। इस बार जब अदालत ने फैसला सुनाया तो लोगों ने कहा कि वे मेरा स्वागत करेंगे। मेरा यह कहने का कोई मन नहीं था कि मैं इसमें शामिल नहीं हो पाऊंगा। मैं लोगों का आभारी हूं।
पुरोहित ने कहा कि मुझे बेहद खुशी है कि मेरा इतना भव्य स्वागत किया गया। मेरा पूरा परिवार इस स्थान पर मेरा इंतजार कर रहा है। मेरा पूरा परिवार यहां आया है। मैं यहीं पला-बढ़ा हूं। सभी लोग मुझसे मिलने यहां आए हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित के एक कॉलेज मित्र ने कहा कि उन्हें 17 साल बाद न्याय मिला है। उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया था। अदालत के फैसले के बाद वह एक निर्दोष व्यक्ति के रूप में अपने घर लौट रहे हैं। इसलिए हमें उनका स्वागत करना चाहिए। हमने यहां सभी व्यवस्थाएं की हैं।
एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने 31 जुलाई 2025 को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सातों आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर सका। मालेगांव ब्लास्ट मामले में शुरुआत में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से सात पर ही आरोप तय हुए और मुकदमा चला। बाकी सात को पहले ही रिहा कर दिया गया था।
क्या था मालेगांव ब्लास्ट मामला
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास खड़ी मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस मामले में आरोपियों पर यूएपीए, आईपीसी की धारा 302 और आपराधिक साजिश के तहत केस दर्ज किया गया था।