पटना चुनाव आयोग ने कहा था कि बिहार के 80.11 फीसदी मतदाताओं ने पहले ही अपने गणना पपत्र जमा कर दिए हैं। अब इस दावे पर सियासत तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस दावे को लेकर प्रेस वार्ता की और कई गंभीर आरोप लगाए।
चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता पुनरीक्षण कार्य के दौरान 80 प्रतिशत फॉर्म जमा होने का दावा किया था। अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने चुनाव आयोग के दावों को खारिज कर दिया है। कहा कि चुनाव आयोग का 80 फीसदी फॉर्म जमा होने का दावा जमीनी हकीकत से पूरी तरीके से विपरीत है। उन्होंने कहा कि कई जगह फर्जी तरीके से फॉर्म अपलोड किए जा रहे हैं। हमलोगों ने इस पर सवाल भी उठाया लेकिन चुनाव आयोग इस गंभीर मामले पर चुप है।
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि सुप्रीम द्वारा दस्तावेजों में लचीलापन लाने की सलाह के बावजूद निर्वाचन आयोग ने कोई औपचारिक संशोधित अधिसूचना जारी नहीं की है। चुनाव आयोग ने यह नहीं बताया कि कितने प्रपत्र बिना दस्तावेज या बिना मतदाता के प्रत्यक्ष भागीदारी के अपलोड हुए हैं? चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों की भागीदारी का उल्लेख तो किया गया है लेकिन यह नहीं बताया गया कि बीएलए को वास्तविक निरीक्षण की भूमिका दी गई या केवल उपस्थिति की सूचना दर्ज की जा रही है। कई जिलों में विपक्षी दलों के बीएलए को सूचित नहीं किया गया है और प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी से रोका गया है। बीएलओ और ईआरओ पर 50%+ अपलोडिंग का लक्ष्य थोपे जाने के कई रिपोर्ट आ चुके हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।
एक एक वोटर पर हमारी नजर है
तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग की वेबसाइट में सफलता के दावे किए गए हैं लेकिन जमीनी सतह पर कहीं सर्वर डाउन, ओटीपी की समस्या, लाॅगीन एरर, दस्तावेज अपलोड फेल, गलत मैपिंग जैसी गंभीर तकनीकी समस्याएँ लगातार सामने आई हैं। तकनीकी शिकायतों की लगातार अनदेखी की जा रही है। इन शिकायतों के लिए बी.एल.ओ या मतदाता को कोई सपोर्ट सिस्टम, टिकटिंग पोर्टल या हेल्पलाइन उपलब्ध नहीं कराई गई है। 25 जुलाई की समय सीमा के पहले ही अपलोडिंग पूरा करने की बात कही जा रही है, जिससे गुणवत्ता और वैधता की जगह संख्या और गति पर जोर है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चुनाव आयोग की यह एस.आई.आर प्रक्रिया एक आई वाॅस है। चुनाव आयोग ने बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर बूथ के आंकड़ों के हिसाब से पहले ही जोड़-तोड़ कर रखा है। लेकिन हम भी कम नहीं है, एक एक वोटर पर हमारी नजर है और सबका आंकड़ा हमारे पास है। केस सुप्रीम कोर्ट में है।
अबकी बार बिहार से आर-पार होगा
तेजस्वी यादव ने कहा कि अबकी बार बिहार से आर-पार होगा। सत्ताधारी बिहार को गुजरात समझने की गलती ना करें। यह लोकतंत्र की जननी है। सबक सिखा देंगे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजेार नहीं होने देंगे। यहां 90 फीसदी मतदाता वंचित उपेक्षित वर्ग से है। उनकी रोटी छीन सकते हो, लेकिन वोट का अधिकार नहीं। इसके लिए महागठबंधन पूरी तरह से सजग है। बिहार से जो लोग पलायन कर गये है उनका अपलोडींग कैसे हो गया। जबकि वो अपने मतदाता सूची के पुनरीक्षण के कार्य में बिहार ही नहीं आये। और इनकी संख्या करीब 4 करोड़ के लगभग है। इन लोगों को सूची में कैसे शामिल किया जा रहा है चुनाव आयोग स्पष्ट करें। चुनाव आयोग की गरिमा, पारदर्शिता और निष्पक्षता की रक्षा के लिए हमने बार-बार आयोग से आग्रह किया कि विधानसभा वार प्रतिदिन लाईव डैसबोर्ड का इस्तेमाल करने की मांग की है, ताकि आंकड़ों में पारदर्शिता और सच्चाई हो। हमने निरंतर मांग की है कि गणना प्रपत्र भरने पर मतदाता को उसकी पावती दी जाए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।