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इतिहास की गंभीर और शोधपूर्ण समझ रखने वाली प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी जैन जाएगी राज्यसभा, जानिए उनके बारे में

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इतिहासकार मीनाक्षी जैन को राज्यसभा के लिए नामित किया है। डॉ. मीनाक्षी जैन भारतीय संस्कृति और मंदिर इतिहास पर गहन शोध के लिए जानी जाती हैं। आइए जानते हैं मीनाक्षी जैन के बारे में…

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चार प्रतिष्ठित हस्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है। इनमें डॉ. मीनाक्षी जैन, उज्जवल निकम, हर्षवर्धन श्रृंगला और सदानंदन मास्टर का नाम शामिल है। इतिहास की गंभीर और शोधपूर्ण समझ रखने वाली प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी जैन को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए नामित किया है। यह नामांकन न केवल उनके गहन शैक्षणिक योगदान को सम्मान देता है, बल्कि भारतीय इतिहास लेखन के क्षेत्र में एक वैचारिक बदलाव का संकेत भी है।

डॉ. जैन, दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर रह चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी, ICHR और ICSSR जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्रदान की।

इतिहासकार से संसद तक: डॉ. मीनाक्षी जैन का सफर

डॉ. जैन का शोध मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत पर केंद्रित रहा है। उन्होंने धार्मिक-सांस्कृतिक विकास पर गहन शोध किया है। उनके चर्चित शोध ग्रंथों में ‘राम और अयोध्या’, ‘दि बैटल फॉर राम’, ‘सती’, और ‘फ्लाइट ऑफ डीटीज एंड रिबर्थ ऑफ टेम्पल्स’ जैसी पुस्तकें शामिल हैं। इन सभी ग्रंथों में उन्होंने भारतीय धर्म, समाज और आस्था से जुड़े ऐतिहासिक पक्षों को प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया है। उनकी प्रमुख पुस्तकों में शामिल हैं:

    • देवताओं का पलायन और मंदिरों का पुनर्जन्म (2019): यह पुस्तक भारत में प्राचीन मंदिरों के विध्वंस, मूर्तियों की चोरी और उनके पुनर्निर्माण के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पहलुओं पर केंद्रित है।
  • राम के लिए संघर्ष: अयोध्या में मंदिर का मामला (2017): अयोध्या विवाद से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों, दस्तावेजों और अदालत में प्रस्तुत साक्ष्यों का विश्लेषण करती है।
  • सती: ईसाई प्रचारक, बैपटिस्ट मिशनरी और उपनिवेशकालीन विमर्श में बदलाव (2016): सती प्रथा पर ब्रिटिश काल के दौरान बने दृष्टिकोण और उस पर धार्मिक व औपनिवेशिक राजनीति के प्रभाव को उजागर करती है।
  • राम और अयोध्या (2013): यह पुस्तक अयोध्या में श्रीराम के ऐतिहासिक अस्तित्व और वहां के धार्मिक महत्व पर गहन शोध प्रस्तुत करती है।
  • समानांतर रास्ते: हिन्दू-मुस्लिम संबंधों पर निबंध (2010): 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान हिन्दू-मुस्लिम संबंधों की जटिलताओं और सामाजिक-पारस्परिक प्रभावों का अध्ययन।

उन्होंने भारत पर विदेशी यात्रियों की दृष्टि पर आधारित The India They Saw नामक तीन खंडों वाली पुस्तक का भी संपादन किया है।

पद्मश्री से सम्मानित

भारत सरकार ने वर्ष 2020 में डॉ. मीनाक्षी जैन को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह सम्मान उन्हें उनके शोध कार्य, ऐतिहासिक लेखन और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया गया।

मंदिर परंपरा पर आधारित व्याख्यान

डॉ. मीनाक्षी जैन ने भारतीय सभ्यता में मूर्ति पूजा की परंपरा और मंदिरों की सुरक्षा को लेकर दो विशेष व्याख्यान दिए। पहला व्याख्यान मूर्ति पूजा की उत्पत्ति और भारतीय संस्कृति में उनके महत्व पर केंद्रित था। इसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और मथुरा जैसे क्षेत्रों में पहली शताब्दी ईसा पूर्व से मिले पुरातात्विक साक्ष्यों को बताया गया।

दूसरे व्याख्यान में उन्होंने दर्शाया कि कैसे मल्तान से लेकर केरल तक आस्था के प्रतीकों को श्रद्धालुओं ने हर संकट में बचाने का प्रयास किया। उन्होंने मंदिर महात्म्य, शिलालेखों, वंशावली, और विदेशी यात्रियों के लेखों का भी हवाला दिया जो भारत में मंदिर पुनर्निर्माण की संस्कृति को उजागर करते हैं।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर दी बधाई 

डॉक्टर मीनाक्षी जैन को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी और कहा कि शिक्षा, साहित्य, इतिहास और राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में उनके कार्यों ने अकादमिक विमर्श को महत्वपूर्ण रूप से समृद्ध किया है। उनके संसदीय कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं।