नई दिल्ली दक्षिण-पश्चिम मानसून आज यानी 24 मई को केरल में दस्तक दे चुका है। इसकी सामान्य तिथि 1 जून है। IMD के मुताबिक, ऐसे में दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य तिथि से 8 दिन पहले केरल में दस्तक दे चुका है।
केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है। यह अपने तय समय से करीब एक सप्ताह पहले चल रहा है। इस साल केरल में मानसून का आगमन पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी हुआ है। राज्य में मानसून के आगमन के लिए सभी अनुकूल परिस्थितियां तैयार हो गई थीं। पिछले दो दिनों में केरल के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। यह कम दबाव वाले क्षेत्र और आगे बढ़ते मानसून सिस्टम के संयोजन के कारण हो रहा है। पिछली बार राज्य में मानसून इतनी जल्दी 2009 और 2001 में पहुंचा था। तब यह 23 मई को राज्य में पहुंचा था।
दक्षिण कोंकण तट के पास पूर्व-मध्य अरब सागर पर एक दबाव बना है। यह 24 मई की सुबह रत्नागिरी से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित था। इसके पूर्व की ओर बढ़ने और आज सुबह रत्नागिरी और दापोली के बीच तट को पार करने की उम्मीद है।
बीते साल 30 मई को मानसून ने दी थी दस्तक
पिछले साल 30 मई को दक्षिणी राज्य में मानसून ने दस्तक दी थी। 2023 में मानसून 8 जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में 29 मई को केरल पहुंच था। आईएमडी ने अप्रैल में 2025 के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया था। इसमें अल नीनो की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया गया था। अल नीनो भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से के लिए जिम्मेदार होता है।ऐसी रहती है देश में मानसून की गति
आम तौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून तक केरल में दस्तक देता है। इसके बाद 8 जुलाई तक यह पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्तूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।
क्या पूरे देश में जल्दी पहुंचेगा मानसून?
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, मानसून की शुरुआत की तारीख और पूरे देश में मौसम के दौरान होने वाली कुल बारिश के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। केरल में जल्दी या देर से आने वाले मानसून का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी हिसाब से कवर करेगा।