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दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान भी भाजपा पर पूर्वांचलियों की उपेक्षा का आरोप, एक भी पूर्वांचली नहीं बना जिलाध्यक्ष

नई दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान भी भाजपा पर पूर्वांचलियों की उपेक्षा का आरोप लगा था। दिल्ली की एक तिहाई से अधिक आबादी रखने वाले पूर्वांचली समाज के लोगों को केवल पांच टिकट दिए गए थे।

दिल्ली भाजपा ने आज अपने सभी 14 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी है। इसमें चार गूजर, तीन पंजाबी और दो दलित समुदाय के लोगों को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। दो महिलाओं को भी जिलाध्यक्ष के रूप में काम करने का अवसर दिया है। लेकिन पार्टी ने पूरी दिल्ली में एक भी पूर्वांचली चेहरे को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया है, जबकि पार्टी के कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने से लेकर पार्टी का झंडा उठाने तक में पूर्वांचल के कार्यकर्ता ही सबसे आगे रहते हैं।

दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान भी भाजपा पर पूर्वांचलियों की उपेक्षा का आरोप लगा था। दिल्ली की एक तिहाई से अधिक आबादी रखने वाले पूर्वांचली समाज के लोगों को केवल पांच टिकट दिए गए थे। इसमें चंदन चौधरी, डॉ. पंकज कुमार सिंह, कपिल मिश्रा और अभय वर्मा जीत हासिल करने में सफल रहे थे, जबकि किराड़ी से बजरंग शुक्ला को हार का सामना करना पड़ा था।

भाजपा के मुकाबले आम आदमी पार्टी ने लगभग एक दर्जन पूर्वांचली उम्मीदवारों को टिकट थमाया था। लेकिन इसके बाद भी 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में एक तरफा आम आदमी पार्टी का साथ देने वाले पूर्वांचली समुदाय ने 2025 में भाजपा पर भरोसा किया और दिल्ली में 27 साल बाद उसकी सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। लेकिन इसके बाद भी पूर्वांचली कार्यकर्ताओं की उपेक्षा इन कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी इस नाराजगी को प्रकट भी कर दिया है।

बिहार चुनाव पर पड़ेगा असर- भाजपा कार्यकर्ता 
पूर्वांचल के एक भाजपा कार्यकर्ता ने अमर उजाला से कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को जब दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था, तब यही कहा गया था कि पार्टी के इस निर्णय से यूपी-बिहार से लेकर मध्य प्रदेश तक का बनिया समुदाय प्रभावित होगा और वह पार्टी से खुद को जुड़ा महसूस करेगा। उन्होंने कहा कि यदि पार्टी की यह रणनीति मुख्यमंत्री के पद पर ठीक बैठती है तो क्या जिलाध्यक्षों के मामले में पूर्वांचलियों की उपेक्षा का बिहार चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा? उन्होंने कहा कि पार्टी को इस पर विचार करना चाहिए।

पूर्वांचल की उपेक्षा नहीं
वहीं, दिल्ली भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने अमर उजाला से कहा कि जिलाध्यक्षों की सूची को केवल इस दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। पिछले विधानसभा चुनावों में केवल पांच पूर्वांचली चेहरों को अवसर दिया गया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद डॉ. पंकज कुमार सिंह और कपिल मिश्रा को सरकार में मंत्री बनाया गया है। लक्ष्मी नगर से विधायक अभय वर्मा को दिल्ली विधानसभा में मुख्य सचेतक बनाया गया है। ऐसे में यह कहना सही नहीं होगा कि पार्टी ने पूर्वांचली समाज की उपेक्षा की है।  उन्होंने कहा कि भाजपा ने पूर्वांचल के कार्यकर्ताओं की पार्टी के प्रति लगन, भाव और मेहनत को देखते हुए एक अलग मोर्चा ही बना दिया गया है। इससे भाजपा के लिए पूर्वांचली मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का महत्त्व समझ में आता है।