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16 साल बाद अपने तय समय से पहले दस्तक देने वाले मानसून की रफ्तार अब धीमी पड़ी, अगले हफ्ते से फिर पकड़ेगा रफ्तार

देश में मानसून की चाल धीमी पड़ गई है। मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ के साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर-पश्चिम भारत को प्रभावित करने वाला है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान के कुछ हिस्सों में बारिश और गरज के साथ बारिश होगी।

16 साल बाद अपने तय समय से पहले दस्तक देने वाले मानसून की रफ्तार अब धीमी पड़ गई है। मानसून को वापस अपनी रफ्तार पकड़ने में थोड़ा वक्त लग सकता है। भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि, बंगाल की खाड़ी में एक नया मौसम तंत्र बनने की संभावना है, जिससे मानसून दोबारा सक्रिय होगा। फिर देश के शेष हिस्सों में आगे बढ़ेगा। दरअसल, इस वर्ष मानसून ने 24 मई को केरल में समय से पहले दस्तक दी। यह पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्द शुरुआत रही।

पिछले तीन दिनों में बहुत कम बारिश
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि, मानसून की चाल में उतार-चढ़ाव आना मौसम की सामान्य विशेषता है। करीब चार महीने तक चलने वाले इस मानसूनी सीजन में कभी जोरदार बारिश तो कभी सुस्ती का दौर चलता है। लेकिन इस बार चौंकाने वाली बात यह है कि सीजन की शुरुआत में ही यह ठहराव आ गया है, जो आमतौर पर देखने को नहीं मिलता। इससे देशभर में रोजाना की बारिश की मात्रा में भारी गिरावट आई है। हालांकि पूर्वोत्तर भारत में हो रही भारी बारिश के कारण देशभर की औसत वर्षा अभी तक सामान्य बनी हुई है। लेकिन दक्षिण और मध्य भारत, जहां से मानसून आमतौर पर रफ्तार पकड़ता है, वहां पिछले तीन दिनों में बहुत कम बारिश हुई है।

दोबारा सक्रियता की उम्मीद बंगाल की खाड़ी पर…
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर का कहना है कि पश्चिमी दिशा में मानसून की उत्तरवर्ती सीमा 26 मई से मुंबई पर अटकी हुई है और पूर्वी शाखा 29 मई से पश्चिम बंगाल के बालूरघाट के पास ठहरी हुई है। अगले एक हफ्ते तक मानसून की कोई बड़ी प्रगति की संभावना नहीं है। अब मानसून की दोबारा सक्रियता की उम्मीद बंगाल की खाड़ी में किसी प्रणाली के बनने के बाद ही है।

वर्षा की मात्रा बेहद कम रहने वाली है
कमजोर मानसूनी दौर अगले सप्ताह के मध्य तक जारी रह सकता है। इस दौरान उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में प्री-मानसून गतिविधियां और पूर्वोत्तर भारत में बची हुई नमी से कुछ वर्षा होती रहेगी, जिससे देशभर की दैनिक वर्षा में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आएगी। हालांकि पश्चिमी घाट और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत जहां मानसून की सबसे पहली बारिश होती है, वहां वर्षा की मात्रा बेहद कम रहने वाली है।

मानसून फिर सक्रिय होगा
बंगाल की खाड़ी में अगले सप्ताह एक मानसूनी प्रणाली बनने की संभावना है। इसका शुरुआती रूप एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में 10 जून के आसपास दिखाई देगा। इसके बाद इसे मजबूत और संगठित होने में लगभग 48 घंटे का समय लगेगा। मानसून की दोबारा सक्रियता ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना से शुरू होकर महाराष्ट्र तक 12 से 14 जून के बीच पहुंचेगी। मानसून की धाराएं धीरे-धीरे पश्चिमी तट के साथ फिर से सक्रिय होंगी, जिसमें केरल, तटीय कर्नाटक, गोवा और कोंकण क्षेत्र शामिल हैं। यह वापसी क्रमिक रूप से होगी, लेकिन मजबूत होगी।

यूपी से राजस्थान में कब होगी बारिश?
मौसम विभाग का कहना है कि, आने वाले दिनों में महाराष्ट्र में मानसून के सुस्त रहने की ही संभावना है। हालांकि पूर्वानुमान के अनुसार 11 जून के बाद फिर मानसून मजबूत होगा और देश के बाकी हिस्सों को कवर करना शुरू कर देगा। 11 जून के आसपास बंगाल की खाड़ी में एक नया वेदर सिस्टम डवलप होगा जो मानसून को मजबूत करेगा। साथ ही देश के उत्तरी भागों में इसके आगे बढ़ने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होंगी। मानसून के जुलाई के मध्य तक उत्तर भारत के बाकी हिस्सों में पहुंचने की संभावना है।

राज्यों में कैसा रहेगा मौसम, जानिए
पूर्वोत्तर राज्यों में अगले सात दिनों तक दौरान भारी बारिश होने की संभावना है। आईएमडी ने 4 जून को असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान लगाया है। पश्चिमी विक्षोभ के साथ कई चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर-पश्चिम भारत को प्रभावित करने वाला है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान के कुछ हिस्सों में बारिश और गरज के साथ बारिश होगी। केरल और तटीय कर्नाटक में मध्यम से भारी बारिश होने की उम्मीद है खासकर 4 जून को तेलंगाना, आंतरिक कर्नाटक और तटीय आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी गरज के साथ बारिश होने की संभावना है।