उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दलित राजनीति को लेकर बड़ा बयान दिया। मायावती ने कहा कि जातिवादी दलों के हाथों में संचालित ये अवसरवादी और स्वार्थी संगठन एक सोची-समझी साजिश के तहत निर्दोष बीएसपी सदस्यों को गुमराह कर रहे हैं। वे अपनी बैठकों और कार्यक्रमों में बीएसपी सदस्यों को बुलाते हैं और कांशीराम और यहां तक कि मेरा नाम लेकर कहते हैं कि वे हमारे मिशन को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
मायावती ने कहा कि अगर उनकी बातों में थोड़ी भी सच्चाई होती तो वे विपक्षी दलों के साथ नहीं जुड़ते। इसके बजाय, वे बीएसपी को मजबूत करने के लिए खुद को बीएसपी से जोड़ते और उसका समर्थन करते… दलितों और उपेक्षित वर्गों को इन जातिवादी दलों से सावधान रहना होगा ताकि वे देश से बीएसपी को कमजोर करने या खत्म करने में सफल न हों। उन्होंने कहा कि ये जातिवादी दल बीएसपी उम्मीदवारों को चुनाव जीतने से रोकने के लिए ईवीएम में भी हेराफेरी कर रहे हैं।
पूर्व सीएम ने कहा कि कई अन्य विपक्षी दलों के साथ-साथ हमारी पार्टी भी चाहती है कि देश में सभी चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएं। हालांकि मौजूदा सरकार के रहते ऐसा संभव नहीं लगता, लेकिन उम्मीद है कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही यह बदलाव शुरू हो जाएगा। हमारी पार्टी के सदस्यों को इस संभावना पर विचार करके निराश नहीं होना चाहिए। देश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए ईवीएम प्रणाली कभी भी बदल सकती है… अगर बैलेट पेपर का फिर से इस्तेमाल किया गया तो बीएसपी के अच्छे दिन भी लौट आएंगे।