नई दिल्ली। 26/11 मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा ने 2008 में हुए आतंकी हमले को लेकर कई बड़े राज खोले हैं। राणा फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में है और मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच पूछताछ की है। इस पूछताछ में उसने कई खुलासे किए हैं। राणा ने बताया कि उसने हमलों के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे मेन टारगेट को पहचानने में मदद की थी।
राणा ने बताया कि उसने 1986 में पाकिस्तान के रावलपिंडी में आर्मी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कोर्स पूरा किया और क्वेटा में पाकिस्तानी सेना में कैप्टन डॉक्टर के तौर पर नियुक्ति हुई। उसे सिंध, बलूचिस्तान, बहावलपुर और सियाचिन-बलोतरा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया था। सियाचिन में रहने के दौरान राणा को पल्मोनरी एडिमा नाम की बीमारी हो गई, जिसकी वजह से वो काम पर नहीं पहुंच पाता था और बाद में उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया।
कैसे बना आतंकी साजिश का हिस्सा
राणा ने पहले कहा था कि वह आतंकी साजिश का हिस्सा बनने के लिए इसलिए तैयार हो गया था क्योंकि हेडली ने उसे आश्वासन दिया था कि वह राणा के रिकॉर्ड साफ करने में मदद करेगा। तहव्वुर हुसैन ने कहा कि आतंकवादियों का समर्थन करने वाली पाकिस्तानी सेना उस पर भरोसा करने लगी थी और खाड़ी युद्ध के दौरान उसे सऊदी अरब में एक सीक्रेट मिशन पर भी भेजा। कनाडा में सैटेल होने से पहले वह जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका में भी रहा और वहां मीट प्रोसेसिंग, रियल एस्टेट और किराने का बिजनेस शुरू किया।
तहव्वुर राणा का हेडली से क्या है कनेक्शन?
राणा और हेडली ने 1974 से 1979 के बीच हसन अब्दल कैडेट कॉलेज में पढ़ाई की थी। हेडली की मां अमेरिकी थीं और पिता पाकिस्तानी नागरिक थे। राणा ने कहा कि अपनी सौतेली मां से मतभेद के बाद हेडली अमेरिका भाग गया और अपनी असली मां के साथ रहने लगा। राणा ने कहा है कि हेडली ने 2003 से 2004 के बीच लश्कर-ए-तैयबा के तीन ट्रेनिंग कैंप्स में हिस्सा लिया था। राणा ने कहा है कि हेडली ने उसे बताया था कि लश्कर एक वैचारिक संगठन से ज्यादा एक जासूसी नेटवर्क के तौर पर काम करता है।
26/11 हमलों में राणा का क्या रोल था?
मुंबई हमलों के मामले में एनआईए की चार्जशीट में कहा गया है कि हेडली ने इमिग्रेंट लॉ सेंटर नाम की एक कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में दिल्ली, मुंबई, जयपुर, पुष्कर, पुणे और गोवा समेत कई शहरों का दौरा किया था। राणा ने क्राइम ब्रांच को बताया है कि इस कंपनी को स्थापित करने का विचार उसका ही था। इसे एक महिला चलाती थी। हमलों से पहले इसका ऑफिस आतंकवादियों की निगरानी को सक्षम करने के लिए एक मुखौटे के रूप में काम करता था।
राणा ने खुलासा किया है कि नवंबर 2008 में भारत आया था और आतंकी हमलों से ठीक पहले 20 और 21 तारीख को मुंबई के पवई में एक होटल में रुका था। हमले से पहले वो दुबई के रास्ते बीजिंग के लिए रवाना हो गया था। 2023 में क्राइम ब्रांच की दायर 405 पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कहा गया है कि राणा ने हेडली को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस जैसे भीड़भाड़ वाली जगहों के बारे में जानकारी जुटाने में मदद की थी। 14 गवाहों ने उसकी भूमिका की पुष्टि की है।
आतंकवादियों की मदद करने वाले जाली दस्तावेजों के बारे में पूछे जाने पर राणा ने इसका दोष भारतीय दूतावास पर मढ़ दिया। हालांकि जांच में पता चला कि राणा ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए हेडली को भारत में घुसने में मदद की थी। राणा ने पाकिस्तानी अधिकारियों साजिद मीर, अब्दुल रहमान पाशा और मेजर इकबाल को जानने की बात कबूल की है। इन अधिकारियों पर हमलों की योजना बनाने का आरोप है। पता चला है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ सक्रिय रूप से समन्वय किया था।