नई दिल्ली। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं। इसी क्रम में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी चुनाव आयोग के ऑफिस पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वो एसआईआर के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इस प्रक्रिया के लिए समय दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “अगर 15-20 प्रतिशत लोग भी सूची से छूट गए तो वो भी अपनी नागरिकता खो देंगे। हम विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन समय दिया जाना चाहिए।” एआईएमआईएम चीफ ने आगे कहा, “अगर किसी का नाम काटा जाएगातो वह शख्स न सिर्फ अपना वोट देने से चूक जाएगा, बल्कि ये उसकी रोजी-रोटी का भी मुद्दा है। हमारा सिर्फ एक ही मुद्दा है कि इतने कम वक्त में चुनाव आयोग इस तरह की कवायद को कैसे अंजाम दे सकता है? लोगों को इस समस्या को समझना पड़ेगा। इन्ही मुद्दों को हमने चुनाव आयोग सामने रखा है।”
असदुद्दीन ओवैसी पहले भी उठा चुके हैं सवाल
इससे पहले उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था, “चुनाव आयोग ये पूरी प्रक्रिया एक महीने में करना चाहता है, ये कैसे संभव है? आप ये एक महीने में कैसे कर सकते हैं? इसका क्या औचित्य है?” उन्होंने कहा, “आप जल्दबाजी करके इसे पूर्ववत नहीं कर सकते और कल, अगर चुनाव होते हैं और मुझे यकीन है कि बहुत से नाम छूट जाएंगे, तो इसका दोष कौन लेगा? ऐसा करना (इतने कम समय में) असंभव है और मेरी आशंका है कि हजारों नहीं, बल्कि लाखों, शायद करोड़ों लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब हो जाएंगे और वे मताधिकार से वंचित हो जाएंगे।”
उन्होंने लाल बाबू हुसैन मामले का भी हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि जो व्यक्ति पहले से मतदाता सूची में नामांकित है, उसे बिना नोटिस और उचित प्रक्रिया के हटाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, “बिहार के ज्यादातर युवा पलायन कर चुके हैं। वे आर्थिक कारणों से पंजाब, केरल, मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली जाते हैं और सीमांचल का अधिकांश क्षेत्र बाढ़ के कारण लगभग छह महीने तक कटा रहता है। अब आप इसे एक महीने में करना चाहते हैं. बीएलए आपके घर कितनी बार आएगा? शायद वह एक बार, दो बार और तीन बार आएगा। यह काफी चौंकाने वाला है कि चुनाव आयोग ऐसा कर रहा है।”