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सबसे पहलेए सबसे दूर और सबसे सटीक कार्रवाई करने वाला हमेशा युद्ध में जीतता है: ऑपरेशन सिंदूर पर बोले वायुसेना के उप प्रमुख

नई दिल्ली एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा कि जब हम ऑपरेशन सिंदूर में अपने स्वयं के अनुभवों को देखते हैं तो एक बात बिल्कुल साफ तौर पर सामने आती है कि  जो पक्ष पहले कार्रवाई करता है, वह जीतता है। यही सिद्धांत सदियों से सैन्य सोच को दिशा देता रहा है, लेकिन आज के समय में यह अधिक प्रासंगिक हो गया है।

वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने एक कार्यक्रम में मौजूदा युद्ध की स्थितियों में सर्विलांस और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सिस्टम के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई कि सबसे पहले, सबसे दूर और सबसे सटीक कार्रवाई करने वाला हमेशा युद्ध में जीतता है।

दिल्ली में सर्विलांस और इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स इंडिया सेमिनार में बोलते हुए एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने कहा कि जब हम आर्मेनिया-अजरबैजान, रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास के वैश्विक संघर्षों और ऑपरेशन सिंदूर में अपने स्वयं के अनुभवों को देखते हैं तो एक बात बिल्कुल साफ तौर पर सामने आती है कि  जो पक्ष पहले कार्रवाई करता है, वह जीतता है। यही सिद्धांत सदियों से सैन्य सोच को दिशा देता रहा है, लेकिन आज के समय में यह अधिक प्रासंगिक हो गया है।

एयर मार्शल ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इन बदलती वास्तविकताओं के अनुकूल ढलने के लिए भारत की तत्परता का प्रदर्शन था। ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक ने सैन्य रणनीतिकारों की उस बात को पुख्ता किया है जिसे वे लंबे समय से समझते आए हैं। आधुनिक युद्ध ने तकनीक की बदौलत दूरी और भेद्यता के बीच के रिश्ते को मौलिक रूप से बदल दिया है।

उन्होंने कहा कि युद्ध के मौजूदा सिद्धांतों को चुनौती दी जा रही है और नए सिद्धांत उभर रहे हैं। पहले क्षितिज तत्काल खतरे की सीमा को चिह्नित करता था। आज स्कैल्प, ब्रह्मोस और हैमर जैसे सटीक  हथियारों ने भौगोलिक बाधाओं को लगभग निरर्थक बना दिया है, क्योंकि BVR AAM और सुपरसोनिक AGM के साथ हमले आम हो गए हैं। एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि सर्विलांस और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स का तेजी से आगे बढ़ता क्षेत्र अब केवल एक परिचालन सक्षमकर्ता नहीं रह गया है, बल्कि समकालीन सैन्य रणनीति का आधार बन गया है।

उन्होंने कहा कि जब हथियार सैकड़ों किलोमीटर दूर लक्ष्य पर सटीक निशाना साध सकते हैं, तो सामने, पीछे, पार्श्व युद्ध क्षेत्र और गहराई वाले क्षेत्रों की पारंपरिक अवधारणाएं अप्रासंगिक हो जाती हैं। यह नई वास्तविकता मांग करती है कि हम अपनी निगरानी सीमा को इतना आगे बढ़ाएं, जिसकी पिछली पीढ़ियां कल्पना भी नहीं कर सकती थीं। हमें संभावित खतरों का पता लगाना, पहचानना और उन पर नजर रखना चाहिए, न कि जब दुश्मन हमारी सीमाओं के पास पहुंचते हैं, बल्कि तब जब वे अभी भी अपने क्षेत्रों, हवाई क्षेत्रों और ठिकानों में विरोधी क्षेत्र के भीतर मौजूद होते हैं। आज हमारे पास इसे साकार करने के साधन हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक युद्ध की संकुचित समयसीमा इस जरूरत को और बढ़ा देती है। जब हाइपरसोनिक मिसाइलें मिनटों में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं और ड्रोन झुंड पारंपरिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के जवाब देने से पहले अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं, तो वास्तविक समय की निगरानी न केवल फायदेमंद हो जाती है बल्कि अस्तित्व के लिए जरूरी भी हो जाती है।